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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Inspirational Thriller

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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Inspirational Thriller

विचित्रता

विचित्रता

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सितमगरों को देखकर मैं,

इन्सानियत बहाने गया,

ये तो जुल्म करनेवालों का नगर था,

मैं खुद शर्मिंदा बन बैठा।


नफरतीयों को देखकर मैं,

प्रेम ज्योत जलाने गया,

ये तो बहकती आग का नगर था, 

मैं खुद घायल बन बैठा।


झूठे लोगों को देखकर मैं,

सच्चाई सिखाने गया,

ये तो नमक उड़ाने वाला नगर था,

मैं खुद जख्म खोल बैठा।


प्रेमीजनों को देखकर मैं, 

अपना दिल खोलने गया,

ये तो प्रेमीयों का नगर था "मुरली",

मैं खुद मदहोश बन बैठा।



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