शरद पूनम
शरद पूनम
शरद पूनम की रात आई,
मेघ मल्हार का विराम लाई,
श्वेत वस्त्रो में शिृंगार सजके,
राधा श्याम को मिलने आई।
कोहरे जैसी चमकती बिंदी,
ललाट वह पर लगाकर आई ,
मोगरे की माला गले पहनकर,
राधा श्याम को मिलने आई।
अधरों से मधुर मधुर मुस्काती,
पलकनों से ईशारा कर के आई,
छूम छनननन पायल बजाकर,
राधा श्याम को मिलने आई।
ता थेई तत थेई नृत्य करके,
अमृत बरसाती चंद्रिका आई,
श्याम की "मुरली" में मग्न होकर,
राधा ने रास में धूम मचाई।
रचना:-धनज़ीभाई गढीया"मुरली" (ज़ुनागढ - गुजरात)

