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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Tragedy Thriller

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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Tragedy Thriller

संघर्ष ही जीवन

संघर्ष ही जीवन

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संघर्षभरी जिंदगी मै जी रहा हूंँ,
समय के साथ ताल मिला रहा हूंँ,

जिंदगी का खेल जीतने के लिये मै,
मुसीबतों का सामना कर रहा हूंँ।

अपने दोस्तों की मदद मांग रहा हूंँ,
अपमान के घुंट गले में उतार रहा हूंँ,

छलकपट की ज़ाल में फंसकर मै,
अपना चेहरा नकाब से छुपा रहा हूंँ।

सुख में महेफ़िलें बहुत देख चुका हूंँ,
फिर भी दुःख की पीड़ा भुगत रहा हूंँ,

बुरा वक्त आने के कारण मै "मुरली", 
आज सुनसान जीवन बिता रहा हूंँ।

 रचना:-धनज़ीभाई गढीया"मुरली" (ज़ुनागढ-गुजरात)


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