STORYMIRROR

Dhanjibhai gadhiya "murali"

Drama Romance

4  

Dhanjibhai gadhiya "murali"

Drama Romance

मेरे मीत

मेरे मीत

1 min
11

सुहाना समा बना है मेरे मीत,
तेरी याद मुझ को बहुत सताती है,
तुझे जींदगी में पाने के लिये मेरे मीत,
मेरा दिल बहुत बेताब रहता है।

कैसी है तेरी ये दिल्लगी मेरे मीत,
मेरे इश्क को तू समझती नहीं है,
फिर भी तेरे इश्क के लिये मेरे मीत,
मेरा दिल बहुत बेताब रहता है।

सावन की मस्त घटा में मेरे मीत,
तेरा नाम लब से पूकारते रहते हैं,
बरसों बाद मिलन के लिये मेरे मीत,
मेरा दिल बहुत बेताब रहता है।

दूरी मिटाकर गले लग ज़ा मेरे मीत,
तेरे बिन जीवन अधूरा लगता है,
"मुरली" की बांहों में लग जा मेरे मीत,
मेरा दिल तेरा इस्तकबाल करता है।

 रचना :-धनज़ीभाई गढीया"मुरली" (ज़ुनागढ - गुजरात)


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama