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Rohit Kumar

Romance

4  

Rohit Kumar

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इश्क का रंग कौन सा लाल या सफेद

इश्क का रंग कौन सा लाल या सफेद

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कितना उचित इश्क़ में रंगों का ये भेद?

शादीशुदा तुम श्रृंगार तुम्हारा प्रेम का रूप,

विधवा जो हुई तुम क्यों मिला ये श्वेत स्वरूप?


क्या जरूरी था प्रेम का रंगों में विभाजन,

अगर नहीं तो क्यों तुमने अपने निश्चल, निर्मल प्रेम को बेरंग ही ना रहने दिया,

और जब अपना ही लिया था तुमने प्रेम का लाल रंग,

तो क्यों तुम अपने उस प्रेम से प्रेम नहीं कर पाई,

फिर क्यों अपनाया तुमने वह श्वेत रंग?


तुम्हारा प्रेम उसके जिस्म से था या उसकी अमर रूह से,

अगर रुह से, तो फिर क्यों…..?

उस जिस्म के रूह से बिछड़ जाने से,

तुमने अपने प्रेम की हत्या भी कर दी,

अगर जिंदा अब भी तुम्हारी रूह में उसका प्रेम,

तो क्यों लपेटा है तुमने ये श्वेत कफ़न खुद पे?


क्या प्रेम लिबासों का प्रतिरूप हो गया है?

गर नहीं तो देखो खुद को दर्पण में,

तुम्हारे प्रेम का प्रतिबिंब ये श्वेत लिबास तो न था?


जिस्मों के बिछड़ जाने से रूहानी प्रेम मर नहीं जाता,

उतारो इस श्वेत कफ़न को, खुद पे फिर अपने प्रेम को सजाओ,

तुम प्रेम को प्रेम ही रहने दो, इसे रंगों का खेल ना बनाओ,

देख तुम्हारी रूह को कैद कफ़न में, वो आजाद रूह भी तड़प रही होगी,

कहीं न कहीं इसका गुनहगार खुद को समझ रही होगी,


सुनो उस रूह के प्रेम को तुम, वो यही कह रही होगी,

नहीं इश्क़ का कोई रंग लाल या सफेद,

तुम ये रंगों की रस्में नहीं, बस अपना प्रेम निभाओ,

उतारो ये श्वेत कफ़न खुद से, खुद पे फिर वो रूहानी प्रेम सजाओ।


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