प्रेमिका का प्रेमी
प्रेमिका का प्रेमी
मुझको जलन न है, न ही होगी रकीब से
हासिल हुई वो उसको तो उसके नसीब से
दोनों ने अजनबीपने का स्वांग रचाया
दोनों के दिल गुजरते थे कभी करीब से
मेहँदी रची हथेलियों से नाम गुम हुआ
यह दर्द बयानी न हो सकी अदीब से
यह प्यार का बुखार जवानी का शगल है
यह मर्ज ठीक न हुआ किसी तबीब से
कुछ साल इश्क़ में गुजारे तो पता चला
इससे कहीं बेहतर था लटकना सलीब से
पाले में वक्त था तो अजनबी भी थे अपने
गर्दिश में अपने बदले हैं एकदम अजीब से
दुनिया के खट्टे-मीठे तजुर्बों ने सिखाया
खुलकर नहीं मिलते हैं सो अपने हबीब से
जलवा फरोशी काट ली सोहबत के असर में
नजरें न मिलीं, आईने में खुद- नजीब से
पहले जमींदारी दिखाओ बाद में रोना
नीलामी में अना नपेगी जब जरीब से
खबरें सही नहीं मिलेगी आपको कभी
इन न्यूज चैनलों में चीखते नकीब से
यारी में सब लुटाया तब फकीर हुए हैं
उलझो नहीं मुझ जैसे अदब के गरीब से।

