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Rohit Kumar

Others

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Rohit Kumar

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मन

मन

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एक पहेली..


अखिल विश्व में-उर-अंतर में,

अजबद्वन्द सा-गजबसमर है !

साधारण कोई धार नहीं ये,

चक्रवात की विकट भँवर है !

ऐसे फिसले पल-पल क्षण-क्षण,

ज्यों भीगा सा संगमरमर है !

मन जीता जीते-जी जिसने,

वही शिखर है - वही अमर है !...(अंशमात्र)



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