कुरीतियों ने कर दिया मखमुर सा, दोस्ती जब बढ़ कर सगाई हो गई। हम जी रहे रंगीनियों में डुबकर, वस्ल की ज... कुरीतियों ने कर दिया मखमुर सा, दोस्ती जब बढ़ कर सगाई हो गई। हम जी रहे रंगीनियों ...
पर रोक ना पाओगे, उस आवाज़ को जो दबी सी रह गई, अंतरात्मा में। पर रोक ना पाओगे, उस आवाज़ को जो दबी सी रह गई, अंतरात्मा में।
नहीं समझ आती मुझे ये ज़हन में पनप रही आहत की बातें नहीं समझ आती मुझे ये ज़हन में पनप रही आहत की बातें
ये रस्में और ये रिवायतें गूँजे हर सूं इश्क़ की आयतें। ये रस्में और ये रिवायतें गूँजे हर सूं इश्क़ की आयतें।
तुम्हारा प्रेम उसके जिस्म से था या उसकी अमर रूह से, अगर रुह से, तो फिर क्यों तुम्हारा प्रेम उसके जिस्म से था या उसकी अमर रूह से, अगर रुह से, तो फिर क्यों
तुम भोर की पहली किरण तुम ही रातों की रौनक तुम भोर की पहली किरण तुम ही रातों की रौनक