दिल के हाथों हो गये मजबूर
दिल के हाथों हो गये मजबूर
किस क़दर जलवा नुमाई हो गई
आज कुछ बस में खुदाई हो गई।
उनको जी भर के अभी देखा नहीं
फिर भी हमारी आशनाई हो गई।
दिल के हाथों हो गये मजबूर हम
जिंदगी अपनी थी परायी हो गई।
कुरीतियों ने कर दिया मखमुर सा
दोस्ती जब बढ़ कर सगाई हो गई।
हम जी रहे रंगीनियों में डुबकर
वस्ल की जो रस्में अदाई हो गई।
अब नहीं भूलेगा ये लम्हा कभी
हाथ की मेंहदी हीनाई हो गई।
देखिये बज्में तरब की सब रोनकें
प्यार की मासूम सगाई हो गई।