इश्क़ आबाद!
इश्क़ आबाद!
दर्द इतना तो मैंने भी नहीं दिया,
जितना पा लिया।
इश्क़ इतना तो मैंने भी नहीं किया,
जितना पा लिया।
इतनी मोहब्बत के बाद भी तू
जुदा कैसे हो गयी।
बात परिवार की ही तो थी,
विष पान तूने क्यों कर लिया।
एक बार फिर इश्क़ ने,
परिवार में समर्पण कर दिया।
हार के भी इश्क़ ने,
इश्क़ को, आबाद कर दिया।