इंसानियत और हैवानियत
इंसानियत और हैवानियत
मैंने इंसान को भगवान और शैतान भी बनते देखा है,
दुख दर्द में साथ देकर, प्रेम प्यार से सेवा कर,
इंसानियत को जिंदा रखते देखा है,
परवाह अपनी ना करके, दुखियारियों की देखभाल करते देखा है,
इंसान को हमने अपनी इन आँखों से भगवान बनते देखा है,
खुश रखना, सुखी रखना उन सबको मेरे रब्बा ,
जिन जिन को भगवान बनते देखा है.....!
इंसान को भगवान भी और शैतान भी बनते देखा है,
लोभ लालच में आकर मरते इंसान को और मारते देखा है,
दवाइयों का क्या कहना, हर चीज़ को काला बाज़ारी करते देखा है,
यही कह दें कि, मुर्दे पर रोटियाँ सेंकते हमने देखा है,
कोरोना काल में, आँखों से परदे हटे, ज़मीर इंसान का बिकते देखा है,
सरकारों की हाय हाय क्या करें,
प्रजा को इंसानियत का दुश्मन बनते देखा है,
इंसान के दुःख दर्द को नज़र अन्दाज़ करके, रुपए कमाते देखा है,
इंसान को इंसानियत छोड़कर हैवान बनते हमने देखा है,
सहयोग तो क्या करना, अपनो को अपनो से मुंह फ़ेरते देखा है,
रिश्तों नातों का, अपनो द्वारा ही क़त्ल होते हमने देखा है,
कहता हरगोविंद, है यह आँखों देखा हाल,
इंसानियत का नंगा नाच हमने देखा है...!