बहुत हो गई भागदौड़, जीवन का संघर्ष, ना जाने बीत गए कितने उमर के वर्ष, बहुत हो गई भागदौड़, जीवन का संघर्ष, ना जाने बीत गए कितने उमर के वर्ष,
इंसान को हमने अपनी इन आँखों से भगवान बनते देखा है, इंसान को हमने अपनी इन आँखों से भगवान बनते देखा है,
फिर चुपके से एक प्रश्न आता है कहां है तुम्हारी जिंदगी ? फिर चुपके से एक प्रश्न आता है कहां है तुम्हारी जिंदगी ?
अपने जैसे ही लगता प्यारा, है सबको ही सम्मान। अपने जैसे ही लगता प्यारा, है सबको ही सम्मान।