प्यारा है सबको ही सम्मान
प्यारा है सबको ही सम्मान
कभी किसी का भूल से भी,कोई नहीं करे अपमान।
अपने जैसे ही लगता प्यारा, है सबको ही सम्मान।
है वसुंधरा माता सबकी , हम सब ही तो परिजन है।
स्वार्थ के वश में हैं ,क्यों कुछ मानवता के दुश्मन हैं?
पर निज कीर्ति गंवा करके,अपकीर्ति कमाते हैं नादान!
अपने जैसे ही लगता प्यारा है सबको ही सम्मान।
अपमान किसी का करने से,सम्मान आपका भी तो घटता है।
अपमान करने वाले का चित्त,कभी शांत नहीं रह सकता है।
दिया हमारा ही वापस मिलता है,हम अनवरत रखें ये ध्यान।
अपने जैसे ही लगता प्यारा, है सबको ही सम्मान।
हंसी-खुशी संग रहें सभी संग,है सकल जगत ही एक परिवार।
खुशियां तो हैं बांटने से बढ़ती , यह तो गम हरने का है हथियार।
हसरत सबकी ही होगी पूरी , जब एक-दूजे का सब करें सम्मान।
अपने जैसे ही लगता प्यारा, है सबको ही सम्मान।