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Nitu Maharaj

Others

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Nitu Maharaj

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कहां है तुम्हारी जिंदगी ?

कहां है तुम्हारी जिंदगी ?

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जिंदगी भर शिकायतें करते रहे हम 

बेवजह का पाला करते थे गम

कभी इसकी वजह से कभी उसकी वजह से 

जब एक पल के लिए एकांत हुए 

तो पुछ पड़ा मेरा मन मुझसे

कहां है तुम्हारी जिंदगी ?


कुछ लोगों की ये कहानी है 

वो जीवन भर कमाते है 

बेईमानी का ढेर लगाते है 

किसी और के हक का खाते है 

भटकते रहते है जीवन भर 

चैन कहां कहीं पाते है ,

फिर चुपके से एक प्रश्न आता है 

कहां है तुम्हारी जिंदगी ?


ईर्ष्या में डूबे इंसान 

दूसरे में खुद को ढूंढते है 

त्याग के अपना हर गुण

बन जाते है गैरों के जैसे

अपने मन को दुख पहुंचाते है

खुद को भूल जाते है 

फिर दिल उससे पूछता है 

कहां है तुम्हारी जिंदगी ?



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