गांव
गांव
वो नीला गगन, पुराना पीपल, और उसका छांव,
चल लौट चलें वापस, आज अपने गांव।
लहराता खेत, खेत की पगडंडी और धूप का ताव,
चल लौट चलें वापस, आज अपने गांव।
बहुत हो गई भागदौड़, जीवन का संघर्ष,
ना जाने बीत गए कितने उमर के वर्ष,
ज़माना हुआ, अरसा बीता, कमजोर हो गये पांव,
चल लौट चलें वापस, आज अपने गांव।
कौन है शहर में, दिल की बात कहेंगे किसको,
वो तो रहती है गांव में, मेरा इंतजार है जिसको,
पैसे कमाते कमाते, जीवन को लगा दी दांव,
चल लौट चलें वापस, आज अपने गांव।।
