ईर्ष्या
ईर्ष्या
मूल रूप से हम ख़ुश ही
रहना चाहते हैं
मगर रह नहीं पाते
परिस्थितियां ग़ैर की तरक़्क़ी
से ईर्ष्या
अपनी नाकामी का बोझ
हमें ख़ुश रहने नहीं देता
और तो और हमारे अपने भी
हमारी तरक़्क़ी से
ख़ुश नहीं होते हैं
यह वह लोग होते हैं जो
हमारी नाकामी का
जश्न मनाते हैं
अपनी असफलता
छुपाने के लिए
यह हमारी बुराई
हर जगह करते हैं
बुराई से इन्हें आत्म संतुष्टि
जो मिलती है
मगर ये लोग जानते नहीं हैं
कि सामने वाला व्यक्ति
इससे या तो हतोत्साहित
हो जाते है या
ख़ूब तरक़्क़ी करते हैं।