हुई थी मुलाक़ात
हुई थी मुलाक़ात
आँखों से तिरी ज़ुल्फ़ का साया नहीं जाता
तेरी ज़ुल्फ़ के घेरे में लिपटना भुलाया नहीं जाता
तुम दिल के इस कदर करीब रहती हो
कि दिल से तेरी याद को हटाया नहीं जाता
माना मैं नादां हूँ पर तेरी चाहत पे मिटा हूँ
यूँ ही हर किसी से दिल लगाया नहीं जाता
हुई थी मुलाकात मुद्दतों पहले एक बार
हर बार तेरे पहलू में आया नहीं जाता
दिल में छुपाकर रखा है तेरी मोहब्बत को
इज़हारे इश्क हर किसी से बताया नहीं जाता।