श्याम वंदना
श्याम वंदना
मुझको अपनी शरण में ले लो
ऐ मेरे श्याम बिहारी
तुमको क्या बतलाऊँ कि
दिल ये कितना उदास है
जब जब तेरी शरण में आया
इस दिल ने है सुकून पाया
तेरे चरणरज को शीश लगाकर
मैं तो भवसागर तर आया
मेरे मस्तक पर रखना हाथ सदा
तुम सांवल गिरधारी
तुमको क्या बतलाऊँ कि
दिल ये कितना उदास है......
तुमने पार करी मेरी नैया
भवसागर के तुम हो खिवैया
मेरी बिगड़ी तुम ही बनाते
गोपियन के कृष्ण कन्हैया
मन मंदिर में मूरत तेरी
बसाऊँ मैं बनवारी
तुमको क्या बतलाऊँ की
दिल ये कितना उदास है....
तन मन धन है तुमको अर्पित
मेरा ये जीवन तुमको समर्पित
तुम ही हो मेरे पालनहारे
रास्ता न सूझे कोई तुम बिन
मुझको सच्ची राह दिखा दे
साँवरिया गिरधारी
तुमको क्या बतलाऊँ कि
दिल ये कितना उदास है....