गहरे जख्म
गहरे जख्म
बस बहुत हुआ अब अपनी यादों से कह दो,
मुझे तन्हाई में आकर सताया न करे,
खुद तो पत्थर के बुत बनकर बैठ गए पर ,
मेरे दिल में जख्म गहरे छोड़ गए,
वो प्यार के अहसास जो जख्म को कुरेदे जाते हैं
उन अहसासों से कह दो वो पलकें भिगाया न करे,
तुम क्या जानो कितनी तड़प होती है,
दिनरात ख्यालों में तुम ही तुम छाए रहते हो,
उन ख्यालों से कह दो सपनों में भी आया न करे,
हमने बहुत कोशिश करके देख लिया तुम्हें भुलाने की,
पर हर कोशिश नाकाम हो गई मेरी मोहब्बत के आगे,
अब तुझसे कुछ पल मुलाकात की चाहत है,
अपनी चाहत से कह दो यूँ इंतजार कराया न करे.