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अमित प्रेमशंकर

Drama

5.0  

अमित प्रेमशंकर

Drama

हर रोज ख्वाबों में आती है

हर रोज ख्वाबों में आती है

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हर रोज

ख्वाबों में आती है,


फिर कैसे कह दूं

कि वो भूल गई।


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