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Dheeraj Srivastava

Romance Tragedy Classics

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Dheeraj Srivastava

Romance Tragedy Classics

हो सके तो माफ करना

हो सके तो माफ करना

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हो सके तो माफ करना हाथ जोड़े जा रहा हूँ।

जिन्दगी सम्बन्ध तुमसे आज तोड़े जा रहा हूँ।


चुभ रहे थे ये हृदय में

रोज बनकर शूल से।

जो लगे थे पैरहन पर

दाग मेरी भूल से।


आँसुओं ने धो दिए अब बस निचोड़े जा रहा हूँ।

जिन्दगी सम्बन्ध तुमसे आज तोड़े जा रहा हूँ।


सोचकर पछता रहा हूँ

साथ चल पाया नहीं।

तोड़कर मैं चाँद तारे

क्यों भला लाया नहीं?


क्या करूँ अब राह अपनी मीत मोड़े जा रहा हूँ।

जिन्दगी सम्बन्ध तुमसे आज तोड़े जा रहा हूँ।


अग्नि देकर यार मुझको

लौट आएँगें सभी।

पर रचे जो गीत तुम पर

खूब गाएँगें कभी।


इसलिए इनको तुम्हारे पास छोड़े जा रहा हूँ।

जिन्दगी सम्बन्ध तुमसे आज तोड़े जा रहा हूँ।


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