STORYMIRROR

Dhanjibhai gadhiya "murali"

Romance Thriller

4  

Dhanjibhai gadhiya "murali"

Romance Thriller

हमसफर

हमसफर

1 min
13

इश्क शब्द को समझने के लिए मै,
इश्क का ख्वाब रोज़ देख रहा हूंँ,
इश्क का एहसास करने के लिए,
मेरे हमसफर को ढुंढ रहा हूंँ।

इश्क की भाषा बोलने के लिए मै,
नज़र से नज़र मिलाना चाहता हूंँ,
ईश्क की ज़ाम छलकाने के लिए,
मेरे हमसफर को ढुंढ रहा हूंँ।

इश्क की प्यास मिटाने के लिए मै,
शहर की गलियों में भटक रहा हूंँ,
इश्क की मुराद पूरी करने के लिए,
मेरे हमसफर को ढुंढ रहा हूंँ।

जो मुझे हमसफर मिल जाये तो मै,
दिल से इस्तकबाल करना चाहता हूँ,
इश्क में मदहोंश बनने के लिए "मुरली",
मेरे हमसफर को ढुंढना चाहता हूंँ।

 रचना:-धनज़ीभाई गढीया"मुरली" (ज़ुनागढ-गुजरात)


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance