हम शीघ्र आते हैं
हम शीघ्र आते हैं
अमन से बैर रखने वालों को
न जीवन से मित्रता निभाने देंगे
हमारे अमर शहीदों की कुर्बानी
व्यर्थ न जाने देंगे।
समझाओ तो सही किस बात की
खुन्नस, क्यों ऐसे भाव उपजाते हो
इंसा होकर इंसानियत के नाम
से ही घबराते हो।
हैवानियत का पाठ पढ़ा कहाँ से बोलो
कुछ तो अपने जमीर की सुनो
थोड़ा तो खुद को भी तोलो
घर-परिवार आपका भी है।
दुआएँ बद्दुआएँ आपको नहीं लगतीं ?
ये खोखली धर्मोजेहाद की दुहाई
किसी के गले नहीं उतरती
बहुत शीघ्र तुम्हारे कर्मो का हिसाब होगा।
हमारी सेना के आगे आवाम का
सैलाब होगा
सभी अपने जवानों की
शहादत की कसम खाते हैं।
ठहरो हैवानियत के ठेकेदारों
हम शीघ्रातिशीघ्र आते हैं
हम शीघ्रातिशीघ्र आते हैं।
