STORYMIRROR

Dr J P Baghel

Abstract

4  

Dr J P Baghel

Abstract

हम हैं कुशल कुम्हार

हम हैं कुशल कुम्हार

1 min
365

बालक में से झांकता ईश्वर का ही चित्र

 निर्विकार निश्छल सरल, कलुष विहीन पवित्र।


 माटी-सा है बाल-मन, हम हैं कुशल कुम्हार

 गढ़ डाला हमने उसे, अपनी रुचि अनुसार।


भला बुरा अनुचित उचित, आस और विश्वास 

बच्चे ने पाया वही जो था मेरे पास।


बच्चों को जैसा मिला बचपन में परिवेश 

वैसा ही है आजकल यह समाज यह देश।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract