हम दोनों
हम दोनों


छा गई मदहोशी आज
तन्हाई में, हम दोनों
एक रात, एक पलंग
एक शबिस्तां, हम दोनों
एक शबिस्तां, दो जिस्म
आज बेहया, हम दोनों
उरियां जिस्म, बिखरे लिबास
दरियाफ़्त करते, हम दोनों
धड़कन, साँसें दोनों तेज़
ना रुके, हम दोनों
चादर, तकिया, बिस्तर, गद्दा
सिलवटों में, हम दोनों
जिस्म बने आज मैख़ाने
प्याले पीते, हम दोनों
आई सर्दी में गर्मी
कुरबतों में, हम दोनों
बोसों, आहों, में कहीं
खो गए, हम दोनों
ज़ानू पे ज़ानू रखकर
लब़ मिलाते, हम दोनों
एक रात, कई चिंगारियां
शोलों में, हम दोनों
बुझाई श़मा बिखरी चीज़ें
टुकड़ों में, हम दोनों
टूटे जिस्म, पहने लिबास
फिर मिलेंगे, हम दोनों
शबिस्ता - bedroom