तेरी राह तकती देख, कबसे खाली पड़ी मेरी मधुशाला । - ये पंक्ति श्री हरिवंश राय बच्चन जी को नमन स्व... तेरी राह तकती देख, कबसे खाली पड़ी मेरी मधुशाला । - ये पंक्ति श्री हरिवंश राय...
अकेलेपन के दौर में, ज़िन्दगी की होड़ में, हम वक़्त को कोसते हैं, दूसरों की थाली में ज़हर अकेलेपन के दौर में, ज़िन्दगी की होड़ में, हम वक़्त को कोसते हैं, दूसरों की...
आँखों में कहानियाँ बहुत है, मगर अंत नहीं आँखों में कहानियाँ बहुत है, मगर अंत नहीं
जब सोचूँ, क्यों मैं जीता हूँ? प्याले अपमान के पीता हूँ, जब दिल-दिमाग का मेल ना हो, जब सोचूँ, क्यों मैं जीता हूँ? प्याले अपमान के पीता हूँ, जब दिल-दिमाग का मे...
तुम हसीन थे,या मैं हसीन थी, या यूं कहुँ की वो यादें हसीन हैं। तुम हसीन थे,या मैं हसीन थी, या यूं कहुँ की वो यादें हसीन हैं।