था ही नहीं
था ही नहीं
जलता रहा दिल रात भर, मगर कभी पिघला नहीं
बहते रहे आँसू ,मगर मन हल्का हुआ नहीं
आह तो है दिल में, मगर निकलती नहीं
मौत तो आई है, मगर राख वाली नहीं
पंख तो हमारे भी है, मगर आजादी नहीं
लकीरें हजार है, मगर वो किस्मत नहीं
आँखों में कहानियाँ बहुत है, मगर अंत नहीं
चेहरे पर मुस्कान है, मगर कोई वजह नहीं
फूल सी ज़िन्दगी है, मगर कभी खिली ही नहीं
चढ़ता रहा नशा हमें, उनके प्याले में इश्क़ था ही नहीं