याद
याद
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बाँध ले तू या अंधेरा या उजाला
बेवक्त यूँ आया ना कर ए याद
माना थोड़ा टूटा सा है दिल
मगर धड़कन का राग सलामत है यार
रफ़ू करना रह गया वो रिश्ता शायद
इसलिए गिर गया कहीं वो पहला प्यार
पेशियाँ पड़ती रहती है इश्क़ में कई
मुक़दमे में का अंत आता है ज़िन्दगी के साथ
मुसीबतों को देखो ढीठ हो गई है
आने से पहले कहां देखती है ये इतवार
मिले फुरसत तो आना कभी यहाँ
डायरी के अलावा भी कोई पिछले हमारा हाल