हम दो साये
हम दो साये
हम दो साये
हम जैसे ही
न जाने कितने और
साये
कुछ दृष्टिगोचर
कुछ अदृश्य
कदम बढ़ाने के लिए
रास्ता तो
एक ही दिख रहा
यूं तो होंगे रास्ते
बहुत
कोई तैर रहा होगा तो
कोई हवा में उड़ रहा
होगा
इस दुनिया में जो
विचर रहा
वह भी अपने पांव
के
नीचे आ रहे रास्तों और
उनसे जुड़ती मंजिलों से
बंध रहा
अंजान है
नहीं जानता
इस दुनिया में भी
बसती है कई और
दुनियायें
अनभिज्ञ है पूर्णतः
इस दुनिया के बाहर भी
जो जीवन का अस्तित्व
पल रहा।
