हिन्दी का सम्मान करो
हिन्दी का सम्मान करो
ए बी सी डी पढ़ते पढ़ते
इंग्लिश इंग्लिश करते करते
अपनी पुरखों की भाषा को
हमनें पल में कैसे भुला दिया
नकल फिरंगी की करने के
चक्कर में खोई अपनी संस्कति
पल्ले कुछ भी पड़ा नहीं
पंडित से बन बैठे पाखंडी
बोली जाती विश्व पटल पर
हम बोलते क्यों सरमाकर
विविध रूप है विविध रंग हैं
सादा सरल बोलने का ढंग हैं
साहित्य की खान है हिन्दी
हम सबकी पहचान है हिन्दी
बिन पढ़ें सीखी जाएं हिन्दी
सबके मन को भाये हिन्दी
सम्मानित हो राष्ट्रभाषा
ये हो सबकी अभिलाषा
आओ मिलकर प्रण करें
हिन्दी को धारण करें ।।