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Vikram Singh Negi 'Kamal'

Action

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Vikram Singh Negi 'Kamal'

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हिन्द की पुकार

हिन्द की पुकार

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रुदन है भीतर मेरे

लेकिन बाहर है हुंकार...

ओ दुश्मन नामुराद कहीं के,

छुपकर करता है वार।


काय़र था तू कायर ही रहेगा

बुज़दिल है तू रख जितने हथियार

तेरी धरती पर ही खाक करेंगे अब,

सुन ले अब तू हिन्द की ललकार।


अब न कोई दुश्मन बचेगा

अपने ही ठिकाने पे..

लाशों के ढेर हम भी लगाऐंगे,

छुपकर बैठो चाहे तुम तहखाने पे।


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