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Taj Mohammad

Abstract Tragedy Action

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Taj Mohammad

Abstract Tragedy Action

जिन्दगी को सोचते हैं

जिन्दगी को सोचते हैं

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आ बैठकर हम अपनी ज़िन्दगी को सोचते है।

किसी मजलूम के बहते अश्को को पोछते है।।1।।


दिलों को मिलेगा हमारे भी कुछ तो सुकूंन।

गर सब भूलकर हम अपने घरों को लौटते है।।2।।


एक हादसे से जीना कोई यूँ छोड़ देता नहीं।

आ फिर खुदको जिंदगी की तरफ मोड़ते है।।3।।


ना जाने उन्हें किसकी है तलाश यूँ दिल से।

दिनों रात सूनी पड़ी सड़को पर वो दौड़ते है।।4।।


अबतो ना आएगा शायद वह कभी लौटकर।

पंख आने पर परिंदें अपने घर को छोड़ते है।।5।।


ना जानें क्यों हो खामोश कहते-सुनते नही।

चलों अपने-अपने सब दिले राज़ खोलते है।।6।।


शिक़वा शिकायतों का ना करेंगे यूँ तज़किरा।

ज़िंदगी को फिर उनकी ज़िंदगी से जोड़ते है।।7।।


ना पूंछो दिले हाल आशिकी का अब हमसे।

दीवाने दिल मे सब अरमान बनके डोलते है।।8।।


जाकर देखो घर से बाहर किसने दी आवज़।

कोई तो है गली में जो ये रात कुत्ते भोंकते है।।9।।


मुबारक हो तुमको तुम्हारे सब अपने ये रिश्ते।

हमारा क्या है अब हम तुम्हारा शहर छोड़ते हैं।।10।।


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