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Taj Mohammad

Abstract Tragedy Action

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Taj Mohammad

Abstract Tragedy Action

दर्द है यह रूह का

दर्द है यह रूह का

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दर्द है यह रूह का सब यूँ तो ना समझ पाएंगे।

जब मिलेंगें हम कभी तो इत्मिनान से बतायेंगें।।1।।


देखो आज आये है गुलशन में चह चाहाने वाले।

शोर ना मचाना वरना शाख से परिंदे उड़ जाएंगे।।2।।


जरा सी तारीफ क्या हुई यूँ महफिलों में उनकी।

खुशफहमी है ये उन्हें रस्क-ए-कमर हो जाएंगे।।3।।


करना ना माफ उनको ऐसे ही उनके गुनाहों पर।

बिना पाये सजा के वह फिर से इन्हें दोहराएंगे।।4।।


दहलीज़ से निकली इज्जत आती नही है कभी।

उड़ गए जो परिन्दे लौटकर वो अब ना आएंगे।।5।।


आवाज़ क्या दूं मैं उनको जो निकल गये आगे।

मुश्किल है सफर में उनको हम अब ना पाएंगे।।6।।


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