STORYMIRROR

Jai Singh(Jai)

Tragedy Action Inspirational

4  

Jai Singh(Jai)

Tragedy Action Inspirational

" रहे ना धरती प्यासी "

" रहे ना धरती प्यासी "

1 min
415

प्यासी धरती पर पडे, पानी की बौछार

हरा रहे मन दूब सा, करे नया श्रृंगार


करे नया श्रृंगार ,धरा पर रंगत लाता

भरे उमंग के भाव,खुशी के पंख लगाता


उपजे अन्न अपार, हटे जगत की उदासी

खूब बने बरसात, रहे ना धरती प्यासी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy