हाय! ये इश्क
हाय! ये इश्क
इश्क को अनमोल कहते हैं लोग
इसकी बोली बाजारों में नहीं लगती
किस्मत में लिखवाना पड़ता है
ये हर किसी को मुफ्त में नहीं मिलती
पहले तो किसी को टूट कर चाहो
और फिर खुद भी टूट जाओ
खुदा से उसे पाने के लिए गुहार लगाओ
और ना मिले तो खुदा से ही रूठ जाओ
मिल जाते हैं वह लोग कभी-कभी
जिनकी किस्मत में मिलना लिखा नहीं होता
मशहूर हो जाते हैं मरने के बाद वे लोग
जिन्होंने प्यार करना सिखा नहीं होता
ये इश्क कल भी था, आज भी है
और हाँ, पता है आगे भी रहेगा
कोई इससे आबाद होगा तो
कोई इश्क में बरबाद होता रहेगा
कहीं कोई इश्क के नाम से डरता है
तो कोई इश्क के लिए जान गंवाएगा
हाय! ये इश्क आगे जाकर ना जाने
कैसी कैसी दास्तान लिखवाएगा

