हाय रे, बदनसीबी...!!!
हाय रे, बदनसीबी...!!!
शादीशुदा एक 'होनहार' बेटा
देर रात को घर लौटा करता ...
बिमार माँ उसका इंतज़ार करतीं ...
माँ बेचारी 'कोमा' से ज़िंदा लौटकर
जैसे-तैसे जिया करतीं ...
क्या कहें बहू और बेटे में
'सालों का अनबन' चलता ...
बहू भी 'सासु माँ'' का
सालों से ख्याल रखतीं ...
बेटा भी अपनी माँ का
है पूरा ख्याल रखता ...
इसमें कोई दोराय नहीं ... !
मगर ये बदनसीबी है
कि वो 'खुशहाल' परिवार
आज टूट कर है बिखर चुका ... !!!
शादीशुदा 'होनहार' बेटा 'किसी और को'
अपना 'बेशक़ीमती दिल' दे बैठा ...
वो अपना तन-मन-धन 'किसी और को'
लुटाता फिरता ...
हाय रे, शादीशुदा 'होनहार' बेटा ... !!!
हाल ये है कि बहू और बेटे में
वो पहले जैसा "प्रेम-विश्वास-श्रद्धा'
आज और नहीं रहा ... !
उनका तथाकथित प्रेम-परिणय
आज एक लंबी दूरी की
यात्रा-सा है लगता ...
ये कैसी बदनसीबी आई रे ,
उस खुशहाल परिवार में ... !!!
एक है पोता उस परिवार में मात्र ,
जो पिछले कुछ सालों से अपने
माता-पिता के 'अंतर्द्वंद्व' में
घुन की तरह पिसता जाता ...
उसे अपने 'प्यारे' पिता का
'वो पहले जैसा' दुलार भी
अब नसीब न होता ...
क्योंकि उसका पिता तो 'अपना
प्यार'
कहीं और' लुटाता फिरता ...
अब बस ऊपरवाले से प्रार्थना करता हूँ
कि मेरे दोस्त को सद्बबुद्धि एवं सत्संगति दें ...
ऐसा कोई करिश्मा हो कि
सुबह-का-भूला शाम को घर लौट आए ...!