जब जेब है खाली आपका...
जब जेब है खाली आपका...
ये दुनिया लगती है एक नाट्यमंच
और ऊंचे ओहदों पर विराजमान महानुभव
हैं सारे नाटक के झूठे पात्र,
जिनकी हर एक बात
'डायलॉग'-सा मालूम पड़ता है,
क्योंकि उनकी हरेक नाट्यांक में
नए-नए तमाशे देखने को मिलते हैं...
उनके चाहनेवालों में
उनके नाट्याभिनय को
सहर्ष देखने में
मज़ा तो बहुत आता होगा, मगर
मुझको तो वो एकदम पसंद नहीं, क्योंकि
मैं उनके आगे-पीछे दुम हिलाते हुए
अपना तमाशा नहीं बनाता,
परंतु कुछ तथाकथित चमचे इस भीड़ में
हमेशा मौजूद रहते हैं, जिनका काम ही है
उन ऊंचे ओहदों पर विराजमान
महानुभावों को बंदर नाच दिखाने का,
जिससे कि यह एक रिवाज़-सा बन चुका है,
जिससे सीधे-साधे ईमानदार एवं सच्चे-निडर लोगों को बहुत तकलीफ सहनी पड़ती है !!!
ये बहुत बुरी बात है...!!! उस रिवाज़ को
जल्द ही खत्म करने की ज़रूरत है, वरना
ये देश खोखला हो जाएगा
और हम जैसे ईमान के पक्के लोगों को
दर-ब-दर ठोकरें खाने की नौबत आ जाएगी!!!
आइए, हम सब मिलकर ऐसे छल-कपट करनेवाले
दोमुंहे प्राणियों का तख्ता पलट दें
और इस देश को साफ सुथरा बनाने में
अपना अमूल्य योगदान दें...!!!
तभी अपना भारत श्रेष्ठ बनेगा !!!
ऐसे ही हममें स्वार्थ से परे हटकर
निरलस सेवा करने की
सच्ची सीख मिलेगी
और हम बिना संशय के
भले-बुरे चेहरों से
झूठी नक़ाब उतार फेंकने में
पूरी तरह कामयाब होंगे...!!!
तो चलिए, अपने सफाई अभियान की
सही शुरुआत करते हैं...!!!
आइए, हमारी भारत मां को
सही मान देते हैं...!!!
