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Anushree Goswami

Drama Inspirational

3.3  

Anushree Goswami

Drama Inspirational

हाँ तुम्हें डर है

हाँ तुम्हें डर है

1 min
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हाँ तुम्हें डर है,

जो है उससे दूर होने का,

तुम्हें डर है,

जो चाहा वो न मिलने का,

कहीं किसी का घर टूटा है आज,

कहीं हुआ है किसी के शरीर पर वार,

कोई रो रहा है, आज भूखे रहने के कारण,

और तुमने आज फिर थाली में खाना छोड़ा है !


चलो ये सब तो सबके साथ है,

करते आज कुछ नई बात हैं,

अच्छा तुम अभी भी फ़िल्म में उलझे हो,

उसके आने के इंतज़ार में बैठे हो,

और वहाँ रो रही है एक सैनिक की पत्नी,

आज लड़ाई में जो शहीद हो गया !


चलो हैं तो वो पराये,

तुम्हें उनसे क्या,

तुमने आज फिर घर पर कॉल नहीं क्या !


वो जो बैठे हैं इंतज़ार में तुम्हारी कॉल के,

कुछ वक़्त दे दो उनको भी वक़्त निकालकर !

तुम्हें डर है भविष्य का, या अतीत का,

कहीं वो दर्द फिर से न दोहराये खुद को,

या कहीं खो न दूँ मैं अपनी सबसे चहेती चीज़,

और वो बच्चा खुश है,

बारिश में नाच रहा है,

भीख में मिला स्वेटर पाकर।


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