हालत - ए- हाल
हालत - ए- हाल


बेदर्द इस जिंदगी को अब सहा नहीं जाता,यकीन उस शख्स पर करना अब और किया नहीं जाता,
हालत - ए - दर्द और तन्हाई का ये सफर अब क्या करूं चाह कर भी चला नहीं जाता ।
बेदर्द इस जिंदगी को...।।
हालत - ए - हाल अब शायद खुश नहीं मै ,मै उस शख्स के बिना मरना भी नहीं चाहता,
कलम जख्मी है हाथ थके हुए ,अब क्या करूं चाह कर भी लिखा नहीं जाता।
बेदर्द इस जिंदगी को.....।।
हां साल बीते हैं उस शख्स के बिन उसकी याद के बिन ,क्या करूं उसे और भुलाया नहीं जाता ,
जवानी बेची ,दिल बेचा व बेच दिए जज्बात ,अब क्या करूं चाह कर के भी घर लौटा नहीं जाता।
बेदर्द इस जिंदगी को......।।