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Shant Gautam

Tragedy Fantasy

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Shant Gautam

Tragedy Fantasy

हिज़्र

हिज़्र

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रुखसत होते हुए एक वादा किया था, 

चेहरा ना कभी देख पाओगे ये दावा किया था, 

मौसमों ने तो कभी कहा नहीं,

पर पेड़ों ने खड़े होने का इशारा किया था, 

है इक हिज़्र में ज़ेहन मेरा,

तुझे देखे बिना ही मर जाते ना कभी ये  

सवाल किया था। 


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