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Shant Gautam

Abstract Tragedy

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Shant Gautam

Abstract Tragedy

मेरे यार ने अब कभी नहीं आना

मेरे यार ने अब कभी नहीं आना

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कभी बारिश मे तेरा मिलना तो

कभी पेड़ों की छाँव मे जाना, 


याद है मुझे आज भी वो

कुछ समय पहले का जमाना, 


रहना तस्लीम तेरे साये के जैसे,

तुझे क्या ही याद होगा वो जमाना, 


यूँ बेवक़्त बरसता है ये मौसम,

कह दो इसे मेरे यार ने अब कभी नहीं आना। 


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