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Abhishek Gaur

Tragedy Classics Fantasy

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Abhishek Gaur

Tragedy Classics Fantasy

हाल-ए-दिल

हाल-ए-दिल

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आसमान; आसमान है,

आसमान रहने दो,

उम्र ना पूछो; हमें जवान रहने दो,

ये उसका मसला है; कि वो दूर इतना है,

पास ना बुलाओ उसको; ज़मीन है यहाँ,

आसमान को ग़ालिब आसमान रहने दो।


कोई बेबस; कोई मजबूर बन गया,

बेगुनाही; बेगुनाह का कसूर बन गया,

गुनाह था जिसका; वो मौज में रहता है,

बेगुनाह को फाँसी; दस्तूर बन गया।


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