निग़ाह उसकी है तुझ पर हमेशा अपने जीवन में तू, क्या कर रहा है ..! निग़ाह उसकी है तुझ पर हमेशा अपने जीवन में तू, क्या कर रहा है ..!
शायद इसलिए जम गया में पिघलने से पहले आखरी बार। शायद इसलिए जम गया में पिघलने से पहले आखरी बार।
गुनाह था जिसका; वो मौज में रहता है, बेगुनाह को फाँसी; दस्तूर बन गया। गुनाह था जिसका; वो मौज में रहता है, बेगुनाह को फाँसी; दस्तूर बन गया।