मुश्किलों से डरना कैसा
मुश्किलों से डरना कैसा
जीवन है आज तेरा जो
कल रहेगा क्या..?
मुश्किलों से फिर डर कैसा
जिओ जब तक खुलकर जिओ।
जीवन वापस न होगा दुबारा
ज़िन्दगी ये तेरी,
सिर्फ है चार दिन की..!
दस्तूर है जो दुनिया की
सबको निभाना पड़ेगा
आया है जो यहाँ,
उसको जाना पड़ेगा..!
जीवन को भार मत मान,
इसको जीना सीखो..
कष्ट में भी हँसकर,
ग़म को पीना सीखो..!
जी लो इसे फूल की तरह तुम
ज्यों लाख थपेड़े सहकर भी वह
पहचान अपनी नहीं छोड़ता..
देखो कभी ध्यान से
बागानों को तुम
फूल की जगह माली
कली नहीं तोड़ता..
ईश्वर भी बैठकर अंदर
तेरे देख रहा है सब
निग़ाह उसकी है
तुझ पर हमेशा
अपने जीवन में तू,
क्या कर रहा है ..!
