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Vinay Panda

Abstract

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Vinay Panda

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बेरोज़गारी में कोरोना

बेरोज़गारी में कोरोना

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बड़ी हँसी आती है

कभी-कभी इस दुनिया पर

ऐसे आफत में भी लोग जो

कर रहे हैं ठगा-ठगी !


पहले तो निश्चित था

कुछ पल की जिन्दगी

होते थे जब हम भले-भले

मगर अब कब हो जाये किसे कोरोना

फैला है देखो जो गली-गली ...


क़िस्मत के ठगों को जब भी दुनिया ठगेगी

मचेगा ऐसे ही हा हा कार कि दुनिया जलेगी

बेरोज़गारी की आह भड़केगी

जब-जब भी शोला बनकर 

मौत आएगी सबकी ऐसे महामारी बनकर


उनकी तो गठरी वैसे ही भारी है

उतारेंगे मोह माया सब मौत के साथ चल देँगे..!


इसे अपनें कर्मों का ही फल समझ

बड़े हुए जो इतना पढ़-लिखकर

अपना ही अस्तित्व मिटाने की

कितनी बड़ी भूल कर दी है तूने..


ले भोग संघर्ष अब

जीवन का असली मजा

एक तो बेरोजगार था ही मैं

उपर से यह कोरोना की सज़ा मिली...


हँसो चाहे भुगतो कहो

मगर हम तो हंसते हैं

सुना है इमन्यूटी बढ़ती है हंसने से

कोरोना क्या बिगाड़ लेगा मेरा

हँसने की शक्ति है हममें..!


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