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Abhishek Gaur

Tragedy

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Abhishek Gaur

Tragedy

सब देखा है

सब देखा है

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सावन देखा है; बसन्त देखा है,

जीते जीते आज तलक;

हर मौसम देखा है,

तूफान देखे हैं मैंने;

चलती हवा को देखा है,

गुनाह भी कई दिखे हैं,

बेकसूर को मिलता दंड देखा है,

खामोश था आज तलक; इसी आस में;

कि शायद आया ही नहीं; कोई मेरे पास में,

मगर आज फिर एक शख्स का घमंड देखा है,

रेतीले भरोसे के किले भी देख लिये मैंने,

विश्वास को आज खंड खंड देखा है,

हर शक़्स को देखा मैंने;

अफ़सोस मगर; हर पाखंड को देखा है,

सावन देखा है; बसन्त देखा है,

जीते जीते आज तलक;

हर मौसम को देखा है,

गुनाह भी कई दिखे हैं,

बेकसूर को मिलता दंड देखा है,

खामोश था आज तलक; इसी आस में;

कि शायद आया ही नहीं; कोई मेरे पास में,

मगर आज फिर एक शक़्स का घमंड देखा है।


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