Poet, Writer
पास धरा पे आकर दूर गगन में जाने वाले सुन, ऐ नभ में उड़ जाने वाले सुन। पास धरा पे आकर दूर गगन में जाने वाले सुन, ऐ नभ में उड़ जाने वाले सुन।
गुनाह था जिसका; वो मौज में रहता है, बेगुनाह को फाँसी; दस्तूर बन गया। गुनाह था जिसका; वो मौज में रहता है, बेगुनाह को फाँसी; दस्तूर बन गया।
पास ना बुलाओ उसको, ज़मीन है यहाँ, आसमान को ग़ालिब आसमान रहने दो। पास ना बुलाओ उसको, ज़मीन है यहाँ, आसमान को ग़ालिब आसमान रहने दो।
गुनाह भी कई दिखे हैं, बेकसूर को मिलता दंड देखा है। गुनाह भी कई दिखे हैं, बेकसूर को मिलता दंड देखा है।
नीर बहे नैंनों से, हँसी कहाँ अब आती है, दशा क्या समझाऊँ अपनी, जब याद विरह में आती है। नीर बहे नैंनों से, हँसी कहाँ अब आती है, दशा क्या समझाऊँ अपनी, जब याद विरह में आत...
क्या इनके भी आने जाने का समय कोई लिखता होगा ? क्या इनके भी आने जाने का समय कोई लिखता होगा ?
उजड़ना था जिन बगीचों ने, आज फूल उन्हीं में खिलते हैं।। उजड़ना था जिन बगीचों ने, आज फूल उन्हीं में खिलते हैं।।