गुंजाइश
गुंजाइश
मुमकिन नहीं अब कोई गुजारिश।
कर रहीं हैं हवाएं भी साजिश।
रिश्तों में बची नहीं अब कोई नवाजिश।
हो गई सारी उम्मीदें खारिज।
किसी फरियाद की नहीं अब कोई ख्वाहिश।
है नहीं लौ की अब कोई भी गुंजाइश।
तूफान में धुंधला गई यादें जहां की।
परछाइयों में सिमट गई बहारें समा की
गुस्ताखियों से टूट गई जिंदगी सयानी।
बन गया जीवन एक सिसकती कहानी।