Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Rani Sah

Tragedy

4  

Rani Sah

Tragedy

गरीबी और भूख

गरीबी और भूख

2 mins
358


मानवता पे ये आघात बड़ा है, 

गरीबों से कब किसी ने ताल्लुक रखा है, 

हर वजूद हर वसूल फीका पड़ा है

गरीबी ने बहुत कुछ समझा दिया है, 


कोई अमीर चंद सिक्के अक्सर

उछालता है शौहरत दिखाने को, 

मैंने देखा कुछ गरीबों को जो आँखो में

ख्वाब पालते हैं मुठ्ठी भर खाने को, 


जिंदगी की भी अजीब मिठास है, 

जो जितना गरीब है उतना ही उदास है, 


किसी गरीब का तन ढक सके वो सूती का कपड़ा भी फटा है, 

हैरत सी होती है कोई गरीब तरसते रहता है

वही अमीरों को मौका पे मौका मिलता है, 


कोई अमीर हर सुख निचोड़ रहा था, 

वही एक गरीब भूख से दम तोड़ रहा था, 


इस जहान की सच्चाई यही है, 

किसी की दौलत की नशा उतरती नहीं

किसी की दो वक़्त की भूख मिटती नहीं, 


आँसू भरे आँखो में जैसे कोई अंगारा हो, 

मयुशी चेहरे से लिपटी कौन गरीबों का सहारा हो, 


बस दो वक़्त की रोटी के लिए नाखून चबाना पड़ता है, 

धुएँ सा होकर पैरों तले दब जाना पड़ता है, 


भूखे पेट की दुहाई कौन देगा, 

भूखी ही गुजर रही है जिंदगी इस दर्द की दवाई कौन करेगा, 

ए खुदा लाखों ख्वाब सच किये है तूने अमीर के, 

थोड़ी सी अरदास सुन ले इस फ़कीर के, 


दो दाने के लिए मैं रोज कतारों में लगता हूँ, 

तेरे नाम के साथ ही अक्सर रोता रहता हूँ, 

खाली पेट ने बहुत कुछ सिखा दिय, 

बस एक निवाला जिंदगी का मतलब बता गया, 


सूखे गले से अब और संवाद नहीं होता, 

भूख इतनी बढ़ गयी हैं की भूख का एहसास नहीं होता, 

चार टुकड़ों में जिंदगी खो रहा हूँ, 

खाली पेट ही सड़क किनारे सो रहा हूँ, 


दर्द बेबसी मजबूरी और लाचारी इस चेहरे के श्रृंगार है, 

भूख के वजन बढ़ने से लगता बीमार मैं, 

कोई जश्न करता कोई जलसा करता है, 

मुठ्ठी भर खाने को दे नहीं सकते, 

वजह पूछो तो कहते हैं मजहब रोकता है, 


हर पल की खुशी सिमट गयी अनाज में, 

आखिर किन शब्दों में लिखू मैं विफल चेहरे ये समाज के।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy