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Taj Mohammad

Abstract Tragedy Action

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Taj Mohammad

Abstract Tragedy Action

गर आ जाते तुम।

गर आ जाते तुम।

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जी लेते हम भी ज़िन्दगी को गर आ जाते तुम।

अश्कों से ना होती यूँ दोस्ती गर आ जाते तुम।।1।।


तेरी रूह में उतरते इश्क़ बनकर हम ऐ ज़िंदगी

नज़रों से अश्क़ ना छलकते गर आ जाते तुम।।2।।


तन्हाई में नशे से हो गयी दोस्ती हम पीने लगे।

यूँ मैखाने में ना गुजरती रात गर आ जाते तुम।।3।।


नाराज़ है अब मेरी माँ भी इस शराब के चलते।

फिर ना होता हमसे ये गुनाहगार आ जाते तुम।।4।।


ना रहे अपने घर के यूँ ना रहे तेरी मोहब्बत के।

फिर ना आते हम गुमराही में गर आ जाते तुम।।5।।


समझौता ना करते हम बिगड़े हुए इन पलों से।

क्यों आदत बनती यह शराब गर आ जाते तुम।।6।।


बिन तेरे क्या करते ज़िन्दगी का हम चुप ही रहे।

हाँ यूँ मौत ना लेती आगोश में गर आ जाते तुम।।7।।



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